Poem on Car in Hindi
बालजीवन एक लाया कार
जिस को लगे पहिये चार
चलती है ये साथ रिमोट
कभी कभी हो जाती आउट
रंग है कार का गहरा लाल
मस्त बड़ी है इसकी चाल
पड़ते इसमें दो सेल्ल
टिंग टिंग करके बजती है बेल्ल
कार देखने जीवन आया
राजू को भी साथ है लाया
तीनों दोस्त हो गए इक्क्ठे
करने लगे थे हाँसे ठठे
बचपन के हैं रंग न्यारे
चोहले को लगते हैं प्यारे। - रमेश बग्गा चोहला
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